Book Title: Sadhvi Vyakhyan Nirnay
Author(s): Manisagarsuri
Publisher: Hindi Jainagam Prakashak Sumati Karyalay

View full book text
Previous | Next

Page 19
________________ साध्वी व्याख्यान निर्णयः प्रकाशित हुआ है पृष्ठ ९-१० में ऐसा पाठ है " पत्तेय सयंबुद्धा बुद्धे, य बोहिया मुणेयव्वा । एय सयंसंबुद्धा, बुद्धीहिय बोहिया दोणि ॥ ३५ ॥ दारं "पत्तेय" गाहा-पत्तेयबुध्धा एक्के १ 'सयं(बुध्धा) बुद्धेहिं बोहिया, स्वयमात्मना स्वतः परतो वा बुद्धा | स्वयंबुद्धबुध्धास्तैर्बोधिता द्वितीओ वियप्पो || २ || एवं सयंबुध्धा ततिओ ॥ ३ ॥ बुध्धीहि वियपिया दोण्णि विगप्पा - बुध्धीहिं इत्थीहिं बोहियाओ मस्सित्थओ || ४ || बुध्धीहि य बोहिया मणुस्सा केवला मिस्सा वा ॥ ५ ॥ एवं पञ्चभेदा इति गाथार्थः ।। ३५ ।। I अर्थः- इस पाठ में प्रत्येक बुद्ध तथा बुद्धबोधित और स्वयंबुद्ध इन तीनों का एक एक मेद बतलाया है । और बुद्धि अर्थात् साध्वियों के उपदेश से प्रतिबोध पाये हुए सिद्धों के दो भेद बतलाये हैं । साध्वियों से प्रतिबोध पाई हुई केवल मनुष्य स्त्रियां और स्त्री-पुरुष दोनों सामिल मिले हुए मिश्र । इस प्रकार साध्वियों से विशेषतः प्रतिबोध पाये हुए स्त्री पुरुष दोनों प्रकार के सिद्ध होते हैं । १०- फिर भी सिद्ध प्राभृत की पृष्ठ १३ पहली पुठी पर ऐसा पाठ है "बुद्धीहिं य बोहिया दोण्णि विगप्पा" तदाह- बुद्धीहिं बोहियाणं बीसा पुण होई एकसमएणं । बुद्धीहिं बोहियाणं बीसपुहुत्तं तु सिद्धाणं ॥ ५४ ॥ दारं ॥ “ बुद्धीहिं बोहियाणं " गाहा - बुद्धीहिं बोहियाणं बीसा | तथा बुद्धीहिं चेव बोहियाणं पुरिसाईणं सामण्णेणं वीस पुहुत्तं सिज्झति । जओ बुद्धीओ सयंबुद्धीओ मल्लिपमुहाओ अण्णाओ य सामण्णसाहुणीपमुहाओ बोर्हिति ओ जहवि चिरन्तण टीकाकारेण सव्वत्थ एयं ण लिहियं । तथाऽप्यवगम्यत इति गाथार्थः ।। ५४ ।। अर्थ - बुद्धि अर्थात् साध्वियों के प्रतिबोध दिये हुए एक समय में बीस पुरुष सिद्ध होते हैं । तथा साध्वियों के प्रतिबोध दिये हुये पुरुष आदि शब्द से पुरुष और स्त्री दोनों का ग्रहण करना चाहिये । यह सामान्य से बीस प्रथक्त्व सिद्ध होते हैं, इस प्रकार स्वयं बुद्धि श्रीमल्लिनाथ स्वामी आदि स्त्री तीर्थंकरी और अन्य सामान्य साध्वियों से प्रतिबोध पाये हुए सिद्ध होते हैं । देखिये – तपगच्छीय श्री क्षेमकीर्तिसूरिजी विरचित " 'बृहत्कल्प वृत्ति" तथा पूर्वघर आचार्य का बनाया हुआ “सिद्धप्राभृत” तथा तप गच्छ के श्री देवेन्द्रसुरिजी महाराज Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

Loading...

Page Navigation
1 ... 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64