Book Title: Sadhvi Vyakhyan Nirnay
Author(s): Manisagarsuri
Publisher: Hindi Jainagam Prakashak Sumati Karyalay

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Page 5
________________ ( ५ ) हरेक गामोमां ज्यां ज्याँ साध्वीजीओ बिराजेल होय छे, त्यां त्यां नानी बालाओ थी कई मोटी बहिन सुधी ने धार्मिक अभ्यास करावता होय छे, तेमने नवकार थी मांडी कर्म ग्रन्थ सुधीनुं ज्ञान साध्वी जी मोना प्रतापेज मल्युं होय छे, साध्वीजीओ पासे स्त्री वर्ग हमेशा अभ्यास करतो अनुभवाये छे साध्वी जी ओना प्रताप जैन स्त्री समाज संयमी, तपस्वी, क्रिया कांडी मर्यादाशील अने धार्मिक अभ्यासमां जेटलो आगल वघेलो देखाय छे, तेना इजारमा अंशे पण साधु समाज थी पुरुष वर्ग धार्मिक बाबतों मां अगल वधेलो देखाय छे, ? पदवी धरोन खरचाने पहोंची बलवा असमर्थ एवा नाना गामडांओ मां धार्मिक श्रद्धा टकावनार तथा सदुपदेश आपनार साध्वीजीओ ए ज छे, पूज्य आचार्यो तथा मुनि पुंगवो, पांच दश थी लई चालीस पचास ठाणा एकज स्थळे मोठा मोठा सहेरोमां साथ रहे छे, तेओ माँ व्याख्यानकारतो एकज होय छे, ते सिवायना मुनिराजो शां समाजोपयोगी कार्यो करेछे? पुरुषों ने बालकों ने भगात्रवानी केटली तकलीफ ले छे तदुपरांत एक बीजा ने भणावी शके तेवा मुनिवर्यो हावाछतां साथेना मुनिओने केम भणावता नथी अने मोठा पगारे पंडितो ने शा माटे रोके छे ? वरजीवनदास भाई ने साधुओ जेटले अंशे समाजने उपयोगी जणाया छे ते धी अनेक गणो बदलो ते अनेक रीतिये समाज पासे थी ले छे जेम के साधुओ पधारे त्यारे मोटुं मोटुं सामैयुं करावनुं, पदवी प्रदान बखते हजारों नाणा खरचाववां, नाम कायम करवा लाखोनी रकम उडावरावत्री, वगेरे, आ विचारतां जणाशे के साध्वीश्रो नो आवा प्रकारनो बोझो समाज उपर नथीज, तेम छतां तेनी उपयोगिता अने सेवा समाज ने घणी जगाय छे, प्रभाविक साधुओ नेए भाई तथा बीजाओ जागे छे पण प्रभाविक साध्वीजी होय तेनुं जाणता नथी, प्रभाविक साधु कोने कद्देवाय ए समझ जोइये, मात्र वागछटाथी, विद्वत्ता थी के अमुक बे पांच कार्यो करवाथी नथी थह जवतुं दालना प्रभाविक महात्माओंना अन्य प्रभावी पण सर्वनी जाण बहार नथी, जेवां के पोतानी मान्यता साची कराववानी खातर अरसपरस्परमां शिरस्फोटन करावयां, अनाचारीश्रो ने पडले उभा रद्दी हसते मुखड़े श्रांख आडा कातकरी नभाव्ये राखवा, अयोग्य वर्त्तणूक छतां सुशीलतानो डोल राखवो, आजे धामधूम थी साधु वेशमां ने काले गृहस्थ वेश मां, आ ऊपरथी समजाशे के जैन शासन नी हेलना करवामां साधुओ ओछा भागीदार न थी ते मुकाबले साध्वीओ घणीज पवित्र श्रने प्रभाविक गणाय, साध्वीओमां अनाचार के वेश पलटो कचित ज बनेल हुशे, साधुओनी जेम केटलीक साध्वीमो दीक्षा आपे छे, व्रतोचारण विधि पूर्वक करावे छे अने धार्मिक कार्य पण घणांज करावे छे, चालु लालमां कच्छ प्रान्तमां दशेक गाममां साधुओना चोमासां हतां, बाकीना घणा गामोमां साध्वीजीओ ना हता ज्यां तेओ व्याख्यान आपतां अने भणावतां पण साध्वीजी भो Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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