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सादि अनंता तिहां घणा रे लाल,
समय समय तेह जाय मेरे प्यारे रे; मंदिर मांहि दीपालिका रे लाल,
सघला तेज समाय मेरे प्यारे रे. अष्ट.४ मानव भवथी पामिये रे लाल,
सिद्धि तणां सुख संग मेरे प्यारे रे एहनुं ध्यान सदा धरो रे लाल,
एम बोले भगवति अंग मेरे प्यारे रे.अष्ट.५ श्री विजय देव पट्टधरु रे लाल,
श्री विजय सेन सूरीश मेरे प्यारे रे; सिद्धतणा गुण ए कह्या रे लाल,
देव दीए आशिष मेरे प्यारे रे. अष्ट.६
एकादशीनी सन्झाय आज मारे एकादशी रे, नणदल मौन करी मुख रहीए; पूछ्यानो पडिउत्तर पाछो, केहने कांई न कहीए. आज० १ मारो नणदोई तुजने वहालो, मुजने तारो वीरो; धूमाडाना बाचका भरतां, हाथ न आवे हीरो. आज० २ घरनो धंधो घणो कर्यो पण, एके न आव्यो आडो; परभव जाता पालव झाले, ते मुजने देखाडो. आज० ३
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