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जेम जेम माया पाछळ दोडे, तेम तेम दुःख खुवारी; मायाथी कदी सुख न साधु, दुःखी नर ने नारी. आतम. ३ सर्व विश्व छे माया वशमां, नाना रूप विचारी; मायाने मारी कहेवामां, संकट दुःख अपारी. आतम. ४ अज्ञान मोहनी मायामांही, मुंझाया सहु संसारी; हुं तुं वृत्ति माया रूपी, माया गति छे न्यारी. आतम. ५ नाम रूपनी विषय वासना, लोक वासना भारी; शास्त्रने मत पंथ वासना टळतां, आनंद प्रगटे अपारी.
आतम.६ चिदानन्द तुज रूप खरूं छे, तुजमां न दुःख लगारी; बुद्धिसागर निजमां आनंद, प्रभुता छे जयकारी. आतम. ७
क्यांथी आव्यो क्यां जईश भाई! क्यांथी आव्यो क्यां जईश भाई! जोने तपासी तारी सगाई.
क्यांथी १ काया माया काची के साची, रंगमा रह्यो शुं? राची माची.
क्यांथी २ फूली फोगट शुं फांफां मारे? फोगट जन्म गुमावी शुं हारे.
क्यांथी ३ कंचन कामिनी मारा मानी,
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