Book Title: Sadhubhai Samaya Sudharas Pije
Author(s): Padmaratnasagar
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 174
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir निर्भय भेद रहित थईने निःसंगथी, मुक्ति मार्गमां विचरीशुं तजी गर्वजो. अपूर्व २ चैतनभावे चेतन परिणमतो रहे, देहभावमां परिणमन नहीं थायजो; एनी अन्तरमा साक्षी वर्ते सदा, वस्तु वस्तु स्वभावे नित्य जणावजो. अपूर्व ३ परम प्रभुथी लागी रहे लगनी सदा, औदयिक भावे साक्षीपणुं वर्तायजो, कर्म विपाको भोगवतां योगीपणुं, पूर्णपणे अन्तरथी अनुभव थायजो. अपूर्व ४ परम प्रभुता प्रगटे परमानंदमय, जन्म मरणना बंधना छूटी जायजो; तेनुं कारण चारित्र ज मनमां धरी, बुद्धिसागर भाव भलो वर्तायजो. अपूर्व ५ आतम!!! कोई न तारुं रे आतम!!! कोई न तारूं रे, मोहे करे |! मारुं मारुं मरण पछी कोई साथ न आवे, तन धन सर्वे न्यारु.आतम! १ गाडी वाडी लाडी तारी, कुटुंब नहीं छे तारुं, कर्या कर्म भोगववा पडशे, कोई न सहाय थनारुं. आतम! २ १६० For Private And Personal Use Only

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