Book Title: Sadhubhai Samaya Sudharas Pije
Author(s): Padmaratnasagar
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 185
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वाद विवादे मानता रे, कोईक साचुं ज्ञान; पर परिणति पोष्या थकी रे, वाधे उलटुं मान. जगतमां० ३ राग-द्वेषनो क्षय करी रे, अर्पे आतम भान; पूरण शान्ति जेहथी रे, जाणो सत्य ते ज्ञान. जगतमां० ४ आतम अनुभव ज्ञानथी रे, नाशे भवभय फंद; बुद्धिसागर पामता रे, ज्ञानी पूर्णानन्द. जगतमां० ५ मुसाफरचं घर (राग : कव्लाली) मुसाफर बहु मळ्या मानव, जगतनी धर्मशाळामां; मळी छूटा थर्बु सहुने, मुसाफर, क्युं घर छे. रह्या तीर्थंकरो नहि कोई, गया राणा अने शेठो; अमीरी वा फकीरीमां, मुसाफरनुं कयुं घर छे. पड्यां नामो सकळ मिथ्या, धर्यां रूपो नथी निजनां; गमे त्यारे जवू पडशे, मुसाफरनु कयुं घर छे. उठावी तंबुओ जावू, मळे नहीं क्यांय विश्रान्ति; सकळ देख्युं रहे त्यां रे, मुसाफर, कयुं घर छे. चणाव्या बंगला जूठा, चणाव्या महेल पडवाना; वपु घरनो भरूंशो शो? मुसाफर, कयुं घर छे. १७१ For Private And Personal Use Only

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