Book Title: Sadhubhai Samaya Sudharas Pije
Author(s): Padmaratnasagar
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 194
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org हुं कायर छु रे म्हारी मावडी, चारित्र खांडानी धारोजी; धिग् धिग् विषया रे म्हारा जीवने, में कीधो अविचारोजी. अरणिक. ७ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गोखथी ऊतरीरे जननीने पाय पड्यो, मन शुं लाज्यो अपारोजी; वत्स तुज न घटे रे चारित्रथी चूक, जेहथी शिव सुख सारोजी. अरणिक. ८ एम समजावी रे पाछो वालीओ, आण्यो गुरुनी पासोजी; सद्गुरु दीए रे शीख भली परे, वैरागे मन वासोजी. अरणिक. ९ अग्नि धखंती रे शिला उपरे, अरणिके अणसण कीधोजी; रूप विजय कहे धन्य ते मुनिवरू, जे मन वांछित लीधोजी. १८० For Private And Personal Use Only अरणिक. १०

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