Book Title: Sadhubhai Samaya Sudharas Pije
Author(s): Padmaratnasagar
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 193
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अरणिक मुनि सन्झाय अरणिक मुनिवर चाल्या गोचरी, तडके दाझे शीशोजी; पाय अडवाणे रे वेलु परजले,तन सुकुमाल मुनीशोजी. अरणिक.१ मुख करमाणुं रे मालती फूल ज्यु, ऊभो गोखनी हेठोजी; खरे बपोरे रे दीठो एकलो, मोही मानिनी ए दीठोजी. अरणिक.२ वयण रंगीली रे नयणे वींधियो, ऋषि थंभ्यो तेणे ठाणोजी; दासीने कहे जा रे ऊतावली, ऋषि तेडी घर आणोजी. __अरणिक.३ पावन कीजे रे ऋषि घर आंगणुं, वोहरो मोदक सारोजी; नवयौवन रस काया कां दहो,सफल करो अवतारोजी. __अरणिक.४ चंद्र वदनीए चारित्रथी चूकव्यो, सुख विलसे दिन रातोजी; बेठो गोखे रे रमतो सोगठे, तव दीठी निज मातोजी. अरणिक.५ अरणिक अरणिक करती मा फिरे, गलीए गलीए बजारोजी; कहो केणे दीठो रे म्हारो अरणीओ, पुंठे लोक हजारोजी. अरणिक.६ १७९ For Private And Personal Use Only

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