Book Title: Sadhubhai Samaya Sudharas Pije
Author(s): Padmaratnasagar
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 183
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir असंख्य प्रदेशी अलख निरंजन, चिदानंदरूप त्हारूं, आतमनो उपयोगी थातुं, गण निज रूपने प्यारूं. आतम!...३ जे देखे ते पुद्गल माया, अज्ञाने अंधारूं, ज्ञान थकी घटमां उजियारूं, गण निजरूपने सारूं. आतम!...४ चेती ले हवे निश्चय चेतन, दुनिया देवता दारू, बुद्धिसागर जागी ले झट, चूक न अवसर चारू. आतम!...५ छोड दे यारी. (राग : सोरठ) आतम! छोड दे मोहकी यारी, मोहकी यारी सें दुःख हैं भारी, बहोत भरी हैं खूवारी आतम!१ जबतक मनमें मोह है तबतक, आंख रहत है बिकारी; अस्थिर मनतन रहत है वाचा, समजो चित्त विचारी. आतम!...२ काल अनादि भवमां भटक्यो, अब दें भ्रान्ति निवारी; आतम ज्ञान से आतम जागो, आप हो आपकी व्हारी.आतम!३ समता भावमें निशदिन रहेना, वेदो आत्म खुमारी; समतासें मोह क्षणमें विनसे, मुक्ति मिलत है प्यारी.आतम!...४ आतम आपो आपकी यारी, कर उपयोग समारी; बुद्धिसागर शुद्धातमरस, प्रगटे अपरंपारी. आतम करदे आपकी यारी!...५ १६९ For Private And Personal Use Only

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