Book Title: Sadhubhai Samaya Sudharas Pije
Author(s): Padmaratnasagar
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 187
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विषयेच्छा वार! (राग : अवसर बेर बेर नहीं आवे. आशावरी) चेतन! विषयनी इच्छा निवारो; विषसम विषयना भोगे न शांति, आवे नहि भव आरो.चेतन... ज्यां सुधी मनमां विषयनी इच्छा, त्यां लगी स्थिरता न पावो; वर्ण गंध रस स्पर्श ने शब्दना, मोहे न मनने मुंझावो. चेतन...१ पांचे इन्द्रिय मनना कामे, प्रगटे सर्व कषायो; डगले पगले दुःख अनंता, अनुभव दिल प्रगटायो. चेतन...२ जडपुद्गलमां ममता अहंता, सुख बुद्धि संसारो; जडचेतन जगमांहि समता, प्रगटे तो भवपारो. चेतन...३ विषयरसे व्हाया हडकाया, पामे दुःख अपारो; चेत चेत वैराग्यने धारी, छंडो काम लवारो. चेतन...४ स्वप्न विषे पण विषयनी इच्छा, प्रगटंती झट वारो; बुद्धिसागर आतम शुद्धि, थातो घट उजियारो. चेतन...५ स्वारथियो संसार सघळो स्वारथियो संसार, ज्यां त्यां स्वारथियां नरनार. स्वारथ होय तो स्नेह ने सगपण, करे खुशामत प्यारं; १७३ For Private And Personal Use Only

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