Book Title: Sadhubhai Samaya Sudharas Pije
Author(s): Padmaratnasagar
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

View full book text
Previous | Next

Page 186
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जगतमां सूर्य ने चंद्र ज, ठरे नहि ठाम ते क्यारे; रहे नहि ठाम ताराओ, मुसाफरनु कयुं करे छे. अमारा प्रेम पंखीडा, मुसाफर जाग निद्राथी; ग्रही ले सत्यनो रस्तो, मुसाफर, कयुं घर छे. घणो रस्तो रह्यो बाकी, प्रमोदो ने त्यजी जावू; 'बुध्यब्धि' मार्ग मुक्तिनो, मुसाफरनुं खलं शिव घर. __ हार नहीं. (राग : आशावरी) अरे जीव! मानव भव शीद हारे, चड नहि मोहना चाळे. अरे० १ तन धन जीवन राज्य ने भूमि, थाशे न तुज कोई काळे; मूकी अनंता गया ने जाशे, जाय ते नजरे भाळे. अरे० २ राज्य ने लक्ष्मी काया माया, ममताथी शीद हारे; बाजीगर बाजी सम सघर्छ, पड नहि मोह जंजाळे. अरे० ३ मारूं मारूं करी मुंझ न मनमां, त्हारूं नहीं कोई क्यारे; परमातम भजी आतमशुद्धि, कर शीद मोहमां म्हाले. अरे० ४ दुर्गुण त्यागी कर प्रभु भक्ति, चेती ले ब्रह्म विचारे; । बुद्धिसागर सन्तने सेवो, मानव भव जे सुधारे. अरे० ५ १७२ For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196