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जगतमां सूर्य ने चंद्र ज, ठरे नहि ठाम ते क्यारे; रहे नहि ठाम ताराओ, मुसाफरनु कयुं करे छे. अमारा प्रेम पंखीडा, मुसाफर जाग निद्राथी; ग्रही ले सत्यनो रस्तो, मुसाफर, कयुं घर छे. घणो रस्तो रह्यो बाकी, प्रमोदो ने त्यजी जावू; 'बुध्यब्धि' मार्ग मुक्तिनो, मुसाफरनुं खलं शिव घर.
__ हार नहीं.
(राग : आशावरी) अरे जीव! मानव भव शीद हारे, चड नहि मोहना चाळे.
अरे० १ तन धन जीवन राज्य ने भूमि, थाशे न तुज कोई काळे; मूकी अनंता गया ने जाशे, जाय ते नजरे भाळे. अरे० २ राज्य ने लक्ष्मी काया माया, ममताथी शीद हारे; बाजीगर बाजी सम सघर्छ, पड नहि मोह जंजाळे. अरे० ३ मारूं मारूं करी मुंझ न मनमां, त्हारूं नहीं कोई क्यारे; परमातम भजी आतमशुद्धि, कर शीद मोहमां म्हाले. अरे० ४ दुर्गुण त्यागी कर प्रभु भक्ति, चेती ले ब्रह्म विचारे; । बुद्धिसागर सन्तने सेवो, मानव भव जे सुधारे. अरे० ५
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