Book Title: Sadhubhai Samaya Sudharas Pije
Author(s): Padmaratnasagar
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 184
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हिल मिल चलो (राग : आशावरी.) आतम! सबसे हिलमिल चलना, आतम सम सब जगजीवो है, प्रभुमय जीवन धरना. आतम० नरनारी सब बाह्य भेद है, आतमरूप समजना; हिंदु मुसलीम खीस्ति बौद्धो, आतमरूप समजना. आतम० १ देश जातिका भेदकुं मिथ्या, मानी सबसें मिलना; शुद्धप्रेम से सर्व जीवोंकी, साची सेवा करना. आतम० २ धर्म भेद में समता धरना, मोहसें है जग मरना; आतम रसका रसिया होकर, शुद्धब्रह्मकुं वरना. आतम० ३ आतम शुद्धि से है मुक्ति, पक्षपात नहि करना; निर्गुण आतम मस्तीकुं वरना, भवसागरकुं तरना. आतम० ४ भोजनपाणी सबकुं देना, ज्ञानसे जग उद्धरना; बुद्धिसागर चिदानंदरस, पीकर जीवन धरना. आतम० ५ ज्ञानी. ज्ञानी विरला कोई जगतमां, ज्ञानी० वंदु विचारी जोई. जगतमां ज्ञानी० १ कोई भाषा ज्ञानथी रे, धरतां मन अहंकार; भाषा कारण ज्ञान- रे, नावे भाषा पार. जगतमां० २ १७० For Private And Personal Use Only

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