________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
हिल मिल चलो
(राग : आशावरी.) आतम! सबसे हिलमिल चलना, आतम सम सब जगजीवो है, प्रभुमय जीवन धरना. आतम० नरनारी सब बाह्य भेद है, आतमरूप समजना; हिंदु मुसलीम खीस्ति बौद्धो, आतमरूप समजना. आतम० १ देश जातिका भेदकुं मिथ्या, मानी सबसें मिलना; शुद्धप्रेम से सर्व जीवोंकी, साची सेवा करना. आतम० २ धर्म भेद में समता धरना, मोहसें है जग मरना; आतम रसका रसिया होकर, शुद्धब्रह्मकुं वरना. आतम० ३ आतम शुद्धि से है मुक्ति, पक्षपात नहि करना; निर्गुण आतम मस्तीकुं वरना, भवसागरकुं तरना. आतम० ४ भोजनपाणी सबकुं देना, ज्ञानसे जग उद्धरना; बुद्धिसागर चिदानंदरस, पीकर जीवन धरना. आतम० ५
ज्ञानी. ज्ञानी विरला कोई जगतमां, ज्ञानी० वंदु विचारी जोई.
जगतमां ज्ञानी० १ कोई भाषा ज्ञानथी रे, धरतां मन अहंकार; भाषा कारण ज्ञान- रे, नावे भाषा पार. जगतमां० २
१७०
For Private And Personal Use Only