Book Title: Sadhubhai Samaya Sudharas Pije
Author(s): Padmaratnasagar
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 176
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir माया मरी नहीं मन नहीं मरीयु, शुं तन भरम लगावे; चिपीयो राखे नहीं चित्त वशमां, दंभशुं कंथा धरावे रे. तपिया! ३ सूरज तापे वृक्षो तपे छे, वडला जटाओ वधारे; खाखमांही आळोटे गद्धा, मुक्ति छे मोह मारे रे. तपिया! ४ समता वण शंख फंके वळे शु? भेख धरे नहीं फावे; आतम ज्ञान विना नही मुक्ति, मूढने शुं भरमावे रे. तपिया! ५ जळना स्नाने मुक्ति मळे तो, मीनादिक शिव पावे; आश त्यजा वण आसन वाळी, _ शानो जोग जगावे रे. तपिया! ६ देह तापथी मननां तापो, क्यारे शांत न थावे; आतमज्ञानथी मननां तापो, शांतपणाने पावे रे. तपिया! ७ मोह काम आशाने त्यागे, त्यागी सहु कहावे; बाह्य त्यागी पण अंतर रागी, त्यागी बनी नही फावे रे. तपिया! ८ मन वश नहीं तो वनमां गये शुं?, लाख चोराशी न जावे? वासना ज्यां त्यां वन घर सरखां, शुं जगने समजावे रे. तपिया! ९ मन नहीं दंडयुं दंड धरे शुं? क्यां मनु जन्म गमावे; १६२ For Private And Personal Use Only

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