Book Title: Sadhubhai Samaya Sudharas Pije
Author(s): Padmaratnasagar
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 178
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उदधि उपर पत्थर तरता, पहाड चले आकाशे; बुद्धिसागर आतम समजे, साचुं सहु समजाशे. संतो-८ चार दिवस- चांदरणुं संसार, चार दिवसनुं चांदरणुं संसारर्नु, बाजीगरनी बाजी जेवू फोकजो; लक्ष्मी सत्ताथी छाक्यो शुं मानवी? पाछळ अंते पडशे तारी पोकजो. चार दिवसमुं. १ छेल छबीला मोजीला जे महालता; वेश्या संगत करतां दारू पानजो, चश्मा जूता गर्व धरीने घालता, गोदी घाल्या चाल्या केई मशाणजो. चार दिवसमुं. २ मरडी मूछो चम चम करता चालता, मगफरीमां बोले कडवा बोलजो; राम रमी गया पर रमणीना रागमां, पाप पुण्यनो थाशे अंते तोलजो. चार दिवसनु. ३ खांते हाथे जे न उडाडे कागने, कृपण एवा अंते चाल्या जायजो; दान पुण्य करशे ते आवे साथमां, अन्ते पामर पाप करीने पस्तायजो. चार दिवस. ४ १६४ For Private And Personal Use Only

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