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एवा २
एवा ३
एवा ४
धर्मी बनो नरनार धर्मी बनो नरनार, एवा धर्मी. दया करो सर्व जीवो उपर, द्वेष धारो न लगार. वेरी उपर वेर न धारो, सत्य धरो नरनार, गरीब दुःखीनी वहारे धाशो, करो न हिंसा विचार. पशु पंखी- मांस न खाशो, करो न क्यारे शिकार; क्रोध मान माया ने लोभने, कामनो करशो संहार. दुष्ट व्यसनना दुर्गुण टाळो, टाळो दुष्ट विकार; धर्मना नामे करो न युद्धो, धारो न्यायाचार. परमेश्वरना सर्व जीवो, बाळक छे निर्धार; एक बीजाने दुःख न देशो, भूलो न शुभ आचार. विश्व मुसाफरखानुं जीवो, कोई अमर न रहेनार; माटे मनुष्य हळीमळीने चालो, धर्म अहिंसा सार. सत्य दया मैत्रीने लघुता, क्षण सरलता विचार; विषयोना मोहे न मुंझावु, संयम सेवो उदार. दुष्ट विचारोथी दूर रहे, धर्म सदा सुखकार; पश्चातापथी आतम शुद्धि, पामी संग परिहार. प्रभु दर्शने मुक्ति प्राप्ति, एवा धर्मे थनार; बुद्धिसागर धर्म धर्याथी, सहुने प्रभु मळनार.
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एवा ५
एवा ६
एवा ७
एवा ८
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