Book Title: Sadhubhai Samaya Sudharas Pije
Author(s): Padmaratnasagar
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

View full book text
Previous | Next

Page 170
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दोषनुं मूळ छे स्वार्थ अवनी विषे, स्वार्थथी मानवी सत्य हारे; मात पुत्रो हणे बाप पुत्री हणे, स्वार्थना दोषथी जीव मारे. स्वार्थ-६ जगतना स्वार्थमां न्याय छे नहीं कशो, जगतना स्वार्थमां दुःख मोटुं, मोह अज्ञानथी स्वार्थनी आशमां, बोलता प्राणिया वेण खोटुं. स्वार्थ-७ स्वार्थनी धूनमां देव भासे नहीं, स्वार्थनी धूनमां भजन भूले; स्वार्थना त्यागथी सत्य तो सांपडे, सत्य आनंदता दील खूले. स्वार्थ-८ संगति गुरु तणी सर्व सुख मूळ छे, स्वार्थना पाशने तेही कापे; बुद्धिसागर सदा स्वार्थने त्यागीए, ध्यान कीजे मुदा ब्रह्म जापे. स्वार्थ-९ अमूल्य शिक्षा राग : वहाला वीर जिनेश्वर सुखकर अमूल्य शिक्षा मानवी होय तो मानवीरे; फीकरनी फाकी करीने फकीर होय तो फाकवी रे.सुखकर १ मौन विना मुनिवर ते शानो? दान कर्या विण शानो दानो; १५६ For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196