Book Title: Sadhubhai Samaya Sudharas Pije
Author(s): Padmaratnasagar
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 169
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir स्वार्थना फंदमां सर्व दुनिया फसी स्वार्थनी भयानकता राग : झूलणा छंद स्वार्थना फंदमां सर्व दुनिया फसी, तत्त्वनी वात दीलमां न धारी; खेलता नाचता बोलता दोडता, पामता प्राणीया दुःख भारी. स्वार्थ-१ स्वार्थना छंदमां सत्य स्वप्ने नहीं, __ स्वार्थना जलधिमां मीन प्यासी; स्वार्थनी छांयडी केरडा जेहवी, स्वार्थनी जगतमां और फांसी. स्वार्थ-२ स्वार्थथी सत्य छानुं रहे छे सदा, स्वार्थथी दुःखोनो पार नावे; स्वार्थना पाशमां प्राणिया जे पड्या, विविध देहो ग्रही दुःख पावे. स्वार्थ-३ जगतमां व्यापीया सर्व छे महाबली, सर्व जग जंतुने ते नचावे; स्वार्थनी भ्रान्तिमां ब्रह्मनी भूल छे, स्वार्थथी मोटका पाप लागे. स्वार्थ-४ स्वार्थमां सहु फस्या, कोई विरला बच्या, स्वार्थथी पापनी वात थावे; स्वार्थथी धर्मनी चक्षुए अन्ध छे, स्वार्थथी पापर्नु अन्न खावे. स्वार्थ-५ १५५ For Private And Personal Use Only

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