Book Title: Sadhubhai Samaya Sudharas Pije
Author(s): Padmaratnasagar
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
माया न मूरख तारी रे माया न मूरख तारी रे, शुं माने मारी मारी, मारी मारी करतां तारी, उमर सहु परवारी रे. माया. १ रावण सरखा राजा चाल्या, चाल्यां रंक भिखारीए, जेनी हाके धरणी धूजे, ते पण चाल्या हारी रे. माया. २ डहापणना दरियामां डूबी, शिर पर घूली डारी रे, कपट कळामां काळो थईने, मारी कटारी रे. माया. ३ निर्दय नफ्फट नागो थईने, कीधी चोरी जारी रे, दगा प्रपंचो पाखंड मांडी, दोड्यो नरकनी बारी रे. माया. ४ अभिमानना तोरे फूली, वात करी तकरारी रे, वात वातमां लडी पड्यो तुं, धर्म न हृदये धारी रे. माया. ५ निंदामां निशदिन शूरो थई, दोष कर्यो ते भारी रे, संतनी संगत कीधी रे, पापीथी प्रीति प्यारी रे. माया. ६ लालचु लंपट लुच्चो बनी तें, करी कुसंगी यारी रे, भजन प्रभुनुं भूली तें तो, धर्मी संग निवारी रे. माया. ७ ज्ञानीनी वात मनमां नगमती, प्यारी होबर धारी रे, फोगल ममतामां फूलीने, उंमर आखी हारी रे. माया. ८ ये तो चेतो चित्तमां चटपट, समजो नरने नारी रे,
१४२
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196