Book Title: Sadhubhai Samaya Sudharas Pije
Author(s): Padmaratnasagar
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 148
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अब हम उत्तर गये भवपारा अब हम उत्तर गये भवपारा, मृत्यु भय निवारा; प्राण तनुका जन्म है मृत्यु, हम है उससे न्यारा; आतम का नहीं जनम मरण है, निश्चय ए निर्धारा. अब. १ अज अविनाशी अलख अमर हम, सब भयकु ही निवारा; काल के काल महाकाल हम, पुद्गल मोह निवारा. अब. २ ब्रह्मस्वरूप हम ब्रह्म समाए, ज्यां नहीं द्वैत पसारा; देह रहा संसारके मांही, हम नही है संसारा. अब. ३ सबसे न्यारा शुद्ध ब्रह्म हम, बावन अक्षर बहारा; हम है प्यारी हम है प्यारा, गुण पर्याय आधारा. अब. ४ पंच भूतसे न्यारा हम है, सर्व विश्व आधारा; बुद्धिसागर आतम पाया, आनंद अपरंपारा. अब. ५ संतो! धर्मी तेह कहीजे संतो! धर्मी तेह कहीजे, धर्मीनी संगत कीजे, संतो! दया दान दम सत्यने धारे, चोरी चुगली निवारे, ब्रह्मचर्यने भावथी धारे, क्रोध कपट संहारे. संतो. १ न्याय थकी निज जीवन गाळे, मोहनी वृत्ति बाळे, देव गुरुनी सेवा सारे, दुर्व्यसनो बहु टाळे. संतो. २ पर उपकारमा प्राण समर्प, विकथा न लागे प्यारी, १३४ For Private And Personal Use Only

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