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जाये जाये रयणी विहाय के. सुण० २ जो सामायिक करावीये तो, लागे थाक अपार; वातो साथे जो मीले तो,
करे करे पहोर दो चार के. सुण० ३ उभा काउस्सग्ग करावीए तो, कहे दुःखे मोरा पाय; माथे पोटकुं मूकीए तो, दोड्यो दोड्यो मारगे जाय के. सुण० ४ जो उपवास करावीए तो, लागे भूख अपार; लेणा कारण रोकीए तो,
लांघे लांघे दो दिन चार के. सुण० ५ धर्मने काजे मागीए तो, एक बदाम न देय; राज्य के वैद्यक रोकी ले तो,
खूणे बेसी गणी गणी देय के. सुण० ६ लोभने वश थई प्राणीयो रे, मेळवे घणेरी रे आथ; दान सुपात्रे देवतां तो, थर थर ध्रुजे छे हाथ के. सुण० ७ त्रण तत्त्व आराधीये रे, जपीए श्री नवकार; खिमाविजय गुण आणीए तो, पहोंचे मुक्ति मोझार के.सुण० ८
उत्तराध्ययना दशमा अध्ययननी सन्झाय समवसरण सिंहासनेजी, वीरजी करे रे वखाण; दशमे उत्तराध्ययनमेंजी, दीये उपदेश सुजाण,
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