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संग चले न एक अंधेलारे... २ सुतनार मात-पिता भाई, कोई अंत सहायक नाहीजी
क्यो भरे पापका थेला रे... ३ तु कहेता है धन मेरा रे, यह कोई नहि है तेरा
है चोरासी का फेरा रे... यह नश्वर सबसंसारा, कर भजन प्रभुका प्याराजी
कहे हित विजय सुन चेलारे... ५ बेइंद्रियनी सन्झाय
(राग : सिद्धारथनारे नंदन वन) बेइंद्रिय बोले मुखथी एह, शुं करवा अम मारो रे; तारुं हैडु रे केम फुटी गयुं, दया दया पोकारे रे. वासी अन्नने धान ने रोटला, तेहमें रह्या अमे झाझा रे; तेहनुं भक्षण करतो तुं नवि बीए,
शास्त्रनी मूकी ते माझा रे. २ वीस वसानी रे तारी दया गई, कांई न रही बाकी रे; । उनुं पाणी रे वासी पीवतां, सचित समान रे वाकी रे. ३ एठवाणी तारे पाणीमां हवे, समुर्छिम पंचेन्द्रि सुधी रे; चौद स्थानकीया रे जीवने विचारतां, केम गई तुज बुद्धि रे.४ मोढे पाटो रे दिन आखो रहे, थुक मेल परसेवो रे;
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