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कोई घेर राती ने कोई घेर लीली, कोई घेर दीसे पीली रे; पंचरूपी छे बाल कुमारी, मनरंजन मत वाली रे. कहेजो.२ हैडा आगल उभी राखी, नयणशुं बंधाणी रे; । नारी नहि पण मोहनगारी, जोगीश्वरने प्यारी रे. कहेजो.३ एक पुरुष तस उपर ठाहे, चार सखीशुं खेले रे; एक बेर छे तेहने माथे, ते तस केडने खेले रे. कहेजो.४ नव नव नामे सहुको माने, कहेजो अर्थ विचारी रे; विनय विजय उवज्झायनो सेवक,
रूप विजय बुद्धि सारी रे. कहेजो.५
निंदा सन्झाय म कर जीवडा रे निंदा पारकी, म करजे विखवाद; अवगुण ढांकी रे गुण प्रगट करे, मृगमद जिम रे जवाद.म.१ गुण छे पूरा रे श्री अरिहंतना, अवर दूजा नहि कोय; जग सहु चाले रे जिम मादल मढ्यु,
गुणवंत विरला रे कोय. म.२ पूंठ न सूझे रे प्राणी आपणी, किम सूझे पर पूंठ; मरम ने मोसो रे केहनो न बोलीए, लाख लहे बांधी मूठ.म.३ राग द्वेषे स्वामी हुं भर्यो, भरीयो विषय कषाय; रीस घणेरी मुज मन ऊपजे, किम पामुं भव पार. म.४
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