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तीसरा उच्छ्वास
उन्हें अपनी पूर्व अवस्था का स्मरण होता तब-तब अपने किए हुए पापों के परिणामों का चिन्तन कर वे अपने मन को प्रसन्न करते थे। धर्म ही एकमात्र शरण है- ऐसा जानकर वे मिथ्या चिन्ता नहीं करते थे ! परन्तु एक भी ऐसा दिन, प्रहर या महत्तं नहीं बीतता था जिसमें कि उनको अपने प्रिय पुत्र की स्मृति ताजी नहीं होती। वहां के समाचार पाने के लिए उनका हृदय प्रतिपल उत्सुक रहता था। परन्तु दूर देशान्तर में अपने चिरंजीवी पुत्र के तनिक भी समाचार प्राप्त नहीं होते थे।
इधर अत्यन्त सुख में लालित-पालित बालक रत्नपाल चलने में क्षम हुआ। वह अपने साथियों के साथ बाल-क्रीड़ाओं से खेलता हुआ क्षण में रूठता था, हंसता था, रोता हुआ भूमि पर लोट जाता था, वह अपने पड़ौसी बालकों के साथ मिलता-झगड़ता हुआ उस कृपण मन्मन के हृदय को विकसित, प्रसन्न, एवं आनन्दित करता था। अनेक आधि-व्याधियों से संरक्षित एवं संगोपित वह आठ वर्ष का हुआ । तब मन्मन ने उसको अनुभवी गुरु के समीप पढ़ने के लिए पाठशाला में भेजा। वह बालक विनय और विवेक से संपन्न था । अपनी चपलमेधा से विद्या अध्ययन करता हुआ वह अनेक विद्याओं में पारंगत होगया । वह अध्यापक महोदय के इगित आकार के अनुरूप वर्तन करता हुआ उनका विशेष कृपापात्र बना। वह विद्या के भार से भारी था, किन्तु नम्रता आदि गुणों से उसकी सर्वत्र प्रशंसा होने लगी । मन्मन ने भी उसको गृहकार्य, लेनदेन तथा दुकान के व्यापार से परिचित कराया और उसको उसमें संलग्न कर दिया ! बारह वर्ष का होता हुआ भी वह बालक बड़े व्यक्तियों की तरह कार्य में निपुण हो गया। दुकान में बैठा व्यापार करता हुआ सबके साथ मधुर व्यवहार करता था, इसलिए वह सबको बहुत भाता था। अनेक ग्राहक उसके वार्तालाप से संतुष्ट होकर वहीं बैठे रहते थे। 'बालक होता हुआ भी कितना दक्ष है, इस प्रकार उसकी प्रशंसा करते हुए उसे छाती से लगाकर पुलकित हो जाते थे । किन्तु विविध गृह-कार्य में कुशल होने पर भी उसे अभी तक 'मैं कौन हूँ'-यह ज्ञात नहीं हुआ । मन्मन ने भी चारों ओर ऐसा अनुकूल वातावरण पैदा किया कि जिससे इस विषय में उसका मन तनिक भी संदेह-युक्त नहीं हुआ। वह जानता था कि मन्मन ही मेरा पिता है और उसकी पत्नी ही मेरी जन्मदात्री मां है । उसने कभी कोई विपरीतता नहीं देखी। किन्तु अत्यन्त गोपित रहस्य भी तुष राशि (घास) से आच्छन्न स्फुलिंग की भांति जब तब प्रगट होता ही है। यह निश्चित तत्त्व है कि जो है, वह है ही, उसका नास्तित्त्व कैसे हो सकता है ?
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