Book Title: Ratribhojan Pariharak Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

View full book text
Previous | Next

Page 7
________________ पुत्र विना कोण बापनो रे, बोलावे जस वास ॥ गते घाले पूर्वज जणी रे, मेले सुर श्रावास रे ॥नाश्॥ ॥१॥ निशिदिन खटक टले नहीं रे, राय तणार नमांहि ॥ ज्ञानी न जणावे किमे रे, राखे निजमा साही रे ॥ ना० ॥११॥ पाले राज्य जली परें न्यायवंत नूपाल ॥ ए जिनहर्ष थर एटली रे, बीजी ढाल रे । जाण ॥ १५ ॥ सर्वगाथान.सकेन ॥दोहा॥ ग्रा ॥अन्यदिवस परदेशथी,श्राव्यो नेट तुरंग॥शा लिहोत्र शास्त्रे कयां, लक्षण सहित सुरंग ॥१॥ब हुकन्नो कूखें सबल,अति सकोमल गात ॥ कुकडकंध सरोस मुख, नहानो पूछ सुजात ॥२॥ अश्व अमूल कगात चपल, देखें। एहवा राय ॥ असवार। करवा जणी, मनमा श्वा थाय ॥३॥ साजवाज करी सा बतो, राय थयो असवार ॥ कटक सुनट के. चल्या, रमवा नणी अपार ॥४॥ अश्व एडीशुं श्राहण्यो, पवन परें उपाय ॥ जेम जेम ताणे वाग तेम, राख्यो ही न रहाय ॥५॥ वक्रपणे ते शीखव्यो, वायें वा यमिखाय ॥ राजाने लेगयो,देखतां समुदायास Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66