Book Title: Ratribhojan Pariharak Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 38
________________ (३६) रपुरथी देवी ऊतरी रे जो॥॥चिंते देखी नूपाल, सुरकन्या सुकुमाल, श्राज हो खेचर रे कन्या के नाग कुमारियां रे जो॥ एहनुरूप अनूप, कयुं न जाये खरूप, आज हो जीती रे एणे त्रिजुवन केरी नारियां रे जो ॥५॥ देखी रंज्या राय, लोयण रह्यां लगा य,आज हो गकी रे आंखडीयां पानी नवि वले रे जो ॥ दीपे दंत रसाल, जाणे मोतीमाल, श्राज हो जाणे रे रवि किरणा सरिखां जलहले रे जो ॥६॥ नयनकमल दल जाण, अणीयालां गुणखाण, आज हो तीखां रे मनमथनां सायक लागणां रे जो ॥ ना क दीवानी धार, चंपकली आकार, आज हो देखी रे रंजित थाये कामी जना रे जो ॥ ७ ॥ अधर प्रवा ली रंग, तेथी अधिक सुरंग, श्राज हो दर्पण रे सा रिखा गलस्थल बन्या रे जो॥गजकुंनस्थल मोज,ए हवा जास उरोज, आज हो पीला रे बाजोरा वरण अवगण्या रे जो ॥७॥ काने शोहे जाल, दीपाव्या जेणे गाल, आज हो खटके रे खीटलीयां जबके फूम णां रे जो ॥ चावंती तंबोल, सहीयांशुं रंगरोल,श्रा ज हो पहेस्यां रे हियडे बाजरण सोहामणां रे जो ॥णा उर कंचूकह ताणि, पहियो कुमरी सुजाण, श्रा Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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