Book Title: Ratribhojan Pariharak Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 41
________________ (३ए) प्रजा सहु सुखणी ससे ए॥६॥ शोलंकी नृप चंअसेन, सेना परिगल, नांजे पण जांगे नहिं ए ॥ मरहको महिपाल, महीयल राखणो, ख्याति जगतमांदे लही ए॥ ७॥ शंखराय सुविदित, न्याते सांखलो, एहनें घेर नारी घणी ए॥ सिंहलवांको राय, श्रीधर राजवी,ए महोटा गढनो धणी ए॥॥सबल सिंह महा राय, सोलंकी साखें, जेहने दल संख्या नहिं ए ॥ जादव नृप जयपाल, पाले लोकनें, कीर्ति जेहनी महमही ए ॥ए॥ गंगाधर गहिलोत, गंगाजल जि स्यो, जस जेहनो के निर्मलो ए ॥ जालो जांजण सिंह, चतुर विचरण, कला बहोंतेर आगलो ए ॥ ॥१॥ विगतालो वणवीर, महिमा जेहनो, वाघेला मांहे दीपतो ए॥ हामो राव हमीर, देवराज देवडो, अरियणर्नु बल कीपतो ए ॥१९॥ सगरराय सेलोत, सहदेव सोनगरो,अमरसेन ए आदडो ए॥ ए वन देश शणगार, जयसेन तसु सुत, धीरवीर वर वांक डो ए ॥ १५ ॥ राजवीयांनां नाम, कहे बिरुदाव ली, कुमरी मन माने नही ए॥ ढाल सत्तरमी एह, नर नारी सणो, रूडी जिनहर्षे कही ए॥ १३ ॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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