Book Title: Ratribhojan Pariharak Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 52
________________ (५०) ॥ दोहा॥ ॥सांजली वचन कुमारना,हैयुं जराणुं ताम ॥ बलि जज बोली नवि शके,संजारी गुणग्राम ॥१॥प्रीति ज मा ताहरी, हियडे बेठी श्रा॥ किमही नीसरशे नही, एतो साल समाश्॥२॥ मन ऊपाड्युं शहां थकी,अमने करी नीराश ॥ जाशो केम करशुं अमें, खारा होय आवास ॥३॥ अमनें वीसरशो नही, ख रीलगाइप्रीत ॥ जोजन करवा अवसरें, वाला श्रा वे चित्त ॥४॥ तुमने शुं कहीये घj, कहेवानो व्य वहार॥सीधावोने सिझ करो,धरजो प्रीति अपार॥५॥ ॥ ढाल बावीशमी ॥ आज निहेजो रे दीसे नाहलो ॥ ए देशी ॥ ॥ करे सजा रे कुमर ते चालवा, बलिना राजा रे ताम ॥ हय गय सेजवाला रथ पालखी, किंकर करवा रे काम ॥ करे ॥ १॥ श्राप्या घरेणां रे वाघा न व नवा, कन्याने पण सार ॥ बहुपरें प्या रे वेश घणा घणा, आप्या सह शणगार ॥ करे० ॥२॥ कीयो जुहार जमायें जश् करी, सासुने तेणी वार ॥ दीधी फरी आशीष सोहामणी, नयणे आंसु धार॥ ॥करे॥३॥ मेलो देजो रे वहेला आवीने, तुमें डोजी Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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