Book Title: Ratribhojan Pariharak Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 17
________________ (१५) दव दे पापी कोय॥एक कुवाणिज्य जो करे,पाप तेटयु होय॥३॥ पूज्य कुवाणिज्य स्यो कहो, जेहनां एटलां पाप ॥ते संजलावो मुज नणी,टालो मननो ताप॥३॥ ॥ ढाल सातमी ॥ महाविदेहक्षेत्र सोहा मणुं ॥ ए देशी॥ ॥ मुनिवर कहे तुमें सांजलो,लाख मीण मधु लो य राय रे॥घाणी मुशल हल गामलां, गली महडांशु मोह राय रे॥ मुनि ॥१॥ विष हथियार न वेच णा, वज्रदंत वचनाग राय रे॥ बलद समारी वेचवा, बली वेचे लश् बाग राय रे ॥ मुनि ॥२॥ ढेढ क साश्वाघरी,तेली ने लोहार राय रे॥वणजारा अधो वाहिया, चीडीमार मलिमार राय रे ॥ मुनि॥३॥ जव चुमालीश एकशो,पाप कुवाणिज्य जेह राय रे॥ खोटुं एक कलंक ये, तेटर्बु पाप गणेह राय रे ॥ ॥ मुनि ॥॥ जनम एकावन एकशो, थाल तणो जे दोष राय रे ॥ एक परस्त्री संगते, थाये पातक पो प राय रे ॥ मुनिणाय॥ नवाणुं शो नवलगें, परस्त्री कामे कोय राय रे ॥ एक रात्रिनोजन तणुं, एटतुं पातक होय राय रे ॥ मुनि ॥६॥ वायस सूकर कू कडो, घूअड ने मांजार राय रे॥ निशिजोजने पासे Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org


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