Book Title: Ratribhojan Pariharak Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 20
________________ (१०) गेह रे ॥ सेना ॥३॥ सुख जोगवतां श्म अन्य दा, निशि सुपन लडं श्रीकार रे॥शणगास्यो विजय थंज निरखियो, राणी हरषी तेणी वार रे॥ सेना ॥ ॥॥ रायने राणीयें जश् वीनव्यो, थाशे कुल थंज स मान रे ॥ मनमां निश्चय तुं जाणजे, एणीपरें नांखे राजान रे ॥ सेना ॥५॥ जिम जिम ते सुत गर्ने वधे, तिमतिम वाधेनृपराज रे॥ जींपे सीमाडो राज वी, जय पाम्यो वाधी लाज रे ॥ सेना ॥६॥ य गय सेना घाधी घणी, पुरदेश वध्या जंमार रे॥ श्म पूरे दिवसें जनमीयो, कुलमंगण राजकुमार रे ॥ सेना ॥ ७॥ उत्सव बहु परें राजा कियो,कहेतां न श्रावे पार रे ॥ चंदन तोरण करी बांधीयां, शण गास्यां पुर बाजार रे ॥ सेना ॥ ॥ दश दिवस ल में उत्सव करी, सुतक दिवसें ग्यार रे॥पक्वान्न नो जन जात नातनां, नीपजाव्यां तास न पार रे ॥ से ना०॥॥ जमाव्या पुरजन मानशं, जमाव्योव ली परिवार रे ॥ कीधी सहुनें परेरामणी, संतोष्या संह नर नार रे ॥ सेना॥ २७॥ सहु सांजलजोरा जा कहे, सुपंना केरे अनुसार रे ॥ जयवाद लह्योस मेनामें जयसेनकुमार रे॥सेना ॥९॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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