Book Title: Ratribhojan Pariharak Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 22
________________ (२०) नो हवे रे लाल ॥ ए आंकणी ॥ पांच धावें पालीज तां रे लाल, करतां कोडि जतन ॥हि॥थयो वरस ते सातनो रे लाल, दीपे जेम रतन्न हि॥राशा नमें नीशालें पाग्यो रे लाल, करवा कला अभ्यास ॥हि॥ थोडे दिवसें श्रावडी रेलाल, कला बहोंतेर तास ॥ हि ॥ रा ॥३॥ कुमर प्रवीण थयो घणुं रे लाल, विनयवंत गुणवंत ॥ हि ॥ यौवनवन तन महोरीयो रे लाल, शोजा जास अनंत ॥ हि ॥रा॥ ॥४॥ हवे सुणो केणी परें मले रे लाल, पूरवनवनी नार ॥ हि॥श्रीजयसेन कुमारने रे साल,सांजलजो अधिकार ॥ हि ॥रा॥५॥ वदेश रलियामणो रे लाल, सरसो जिहां सुनिद॥ हि ॥नगरी तिहां कमलापुरी रे लाल, कमलापुरी प्रत्यक्ष ॥हिारा॥ ॥६॥ धनवंत तिहां व्यवहारीया रे लाल, सुखीया ने सुकुमाल ॥ हि॥ लोक वसे तिहां सहु सुखी रे लाल, पुःखीयाना प्रतिपाल ॥ हि ॥ रा॥७॥ राज्य करे राजा तिहां रेखाल,बलिन महाबलवंत ॥ हि तेजजासन शहीसके रेलाल,अरिगिरि गुफा प्रहंताहिणारागाजापट्टराणी गुणसुंदरीरेलाल, गुण अवर जिणमाय ॥ हि ॥प्रीतमनें वहाली घणी रे Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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