Book Title: Ratribhojan Pariharak Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 24
________________ २२) चित्त मजार ॥३॥ पहेले नव हुं चडकली, चिडो मु ज जरतार ॥ निशिजोजन मूक्युं हतुं, नृपघर लीयो अवतार ॥४॥ पुण्य फल्युं ते मुज हां, सुखणी थश्थ पार ॥ परणुं जो मुजनो मले, पूरवनव जरतार ॥५॥ ॥ ढाल दशमी ॥ साहेबा मोतीडो - हमारो ॥ ए देशी ॥ ॥चित्त विचारे केम ते मलशे, केम मनोरथ मा हरा फलशे ॥ कुमरी जरीयो मन चिंते, कुमरी जरी यो ॥ए आंकणी॥चिंता मग्न थश्ते कुमरी,फूल विना रति नहिं जेम नमरी ॥ कु०॥१॥ अन्न न नावे नी र न नावे, राग रंग श्रवणें न सुहावे ॥ कु०॥ निज सहियर साथे नवि खेले, रात दिवस नीसासा मेले ॥ कु०॥२॥.वरस बराबर वासर जाये, तारा गण तां रात विहाय ॥ कु०॥शून्य ध्यान बेठी मन घ्या वे, किनही\ निज चित्त न लावे ॥ कु० ॥३॥ वर चिंता हैयडामां धरती,रहे उदास दिवस एम नरती॥ ॥कु॥ तोडे तृण नूमि सामुंजोवे,न जणावे हियडा मां रोवे ॥॥॥पूडे सहीयर सांजल बहेनी, म्लान मुख दीसे केम कहेनी॥॥चिंतामननी कोने न ज णावे, फुःख मन- तुं कां न जणावे ॥॥५॥प्रीति Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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