Book Title: Ratribhojan Pariharak Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 18
________________ सही, रात्रिचर अवतार राय रे ॥ मुनि ॥७॥मु निपासें राजा सुणी, निशिजोजनना दोष राय रे ॥ चरणे लागी प्रेमशु,धरतो मन संतोष राय रे॥मुनि॥ ॥ ॥ एक रात्रिनोजन तणो, दोष अडे मुनिराय राय रे ॥ तो केम बूटीश तेहथी, को उपाय बताय राय रे ॥ मुनि ॥॥ पूर्वे निशिनोजन कस्या, ते तो नूस्या अज्ञान राय रे ॥ हवे जाणीने परिहरो,ध रो धर्मनुं ध्यान राय रे ॥ मुनि ॥ १०॥ अमरसेन राजा करे, रात्रिनोजननो नीम राय रे ॥ मुजने नि श्चल पालक, नां जीवं तां सीम राय रे ॥ मुनि॥ ॥ ११ ॥ वली पूब अणगारने, स्वामी कहो विचार राय रे ॥ चिडा चिडकली केम लहे, रात्रि दोषअपा र राय रे ॥ मुनि ॥१॥ एणे वनमांहे मुनि कहे, समवसख्या जिनराय राय रे॥ कुंथुजिनेसर सत्तरमा, तास नणी नमी पाय राय रे ॥ मुनि ॥ १३॥ नि शिजोजमनो में पूजीयो, स्वामी लांखो दोष राय रे॥ जिनवाणी समजे सहु, सहुने होय संतोष राय रे ॥ ॥ मुनि ॥ १४ ॥ जिन कहेतां पंखी सुण्यो, बेग तककर माल राय रे ॥ ए जिनहर्ष पूरी अश, एटले सातमी हाल राय रे ।मुनिमार५॥ सर्वगाथा ॥१३३॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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