Book Title: Ratribhojan Pariharak Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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(१०) दृढ बंधनशुं बांधीयो, पीड्यो तेणें नूपाल ॥१॥ना रि वचन नानां सुण्यां,श्रावी नागकुमार ॥ तूगे राय जणी कहे, धन धन तुज अवतार ॥२॥ सत्यवंत तुं सापुरुष, शीलवंत गुणवंत ॥धीरज ताहारी देखीने, पाम्यो हर्ष अनंत ॥३॥ मात पिता धन्य ताहरां, जेहनें तुं थयो पुत्र ॥श्हां तोतादरी कीरति, पामीश सुख श्रमित्ताधाएहवू कहीने रायनां,बंधन बोड्यांदे वै॥ कर जोडी कहेवीनति, वचन निसुण तुं हेव॥५॥ ॥ ढाल पांचमी ॥ देखो गति दैवनी रे॥ ए देशी॥
माग वर देवता श्म कहे जी, तूगे हुं तुज गु ण देख ॥ तुज सरिखो जग को नहीं जी, मूकी तें देवि उवेख ॥ मागण॥१॥ नरपति लांखे मारां की स्युं जी, सांजल नागकुमार ॥ माहरे नही ऊऍरति किसीजी, राज कि जया नंमार ॥माग ॥२॥ देव कहे सुण देवनुं जी, दरशन निःफल न होय ॥ तेह जणी काश्क माग तुं जी, मुफ तुं प्रीतज जोय ॥ माग० ॥३॥ प्रीत तिहां अंतर किस्युं जी,अंतर प्रीति विनाश।तो अंतर किम राखीयें जी,जोश्ये मागे सज पासमाग०॥ ४॥ याग्रह जाणी सुरनो तदा
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