Book Title: Ratribhojan Pariharak Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 10
________________ (७) तीनो कीजें वन प्रमाण ॥३॥राची अमृत सारि खीविरंची विषनी वेल ॥एवं जाणी सापुरुष, मन के रोह मेल ॥४॥तुजशुमाहारे मन मत्यु,लागेनिविड सनेह ॥ सुख जोगवो संसारनां,नावे अवसर एह॥५॥ ॥ ढाल चोथी॥ मम कारो माया रे का या कारिमी ॥ ए देशी ॥ ॥राय कहे रे देवी सांजलो, मूकी दे एहवी रूढि रे॥ हंतो नररूप तुंतो देवता,ए किसी योग्यता मूढ राय ॥॥ तुं देवी ने देवनी योगता, मानवी मानव योग रे॥सरिखे सरि जोडुंजो मले,तो बदेले म संयोग रे ॥रागा॥ देवी मुजने नियम बे एहवो, माय बहिन पारकी नार रे॥ पारकी नारी केम ढुं जो गईं, सांजली दोष अपार रे ॥रा ॥३॥रावण प रनी रे स्त्रीय लंपटी, लश् गयो रामनी नार रे ॥रामें लंका विध्वंसी करी, उद्यां दश शिर धार रे ॥रा ॥॥नारी पांच पांमवनी जौपदी, शीलवती शिरदार । कीचक तेह तणो रसीयो थयो, नीमे हण्यो ते णि वार रे ॥रा॥५॥ ज थहिल्यायें ते मोहियो, मौतम दीध सराप रे ॥ सहन नीचिन्ह सरिखां थ मां..पाम्यो बहुत संताप रे ॥राण ॥६॥ तणी Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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