Book Title: Prashamrati Prakaran Ka Samalochanatmak Adhyayan
Author(s): Manjubala
Publisher: Prakrit Jain Shastra aur Ahimsa Shodh Samthan

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Page 37
________________ 28 प्रशमरति प्रकरण का समालोचनात्मक अध्ययन 28 संसारी जीव के भेद : संसारी जीव दो प्रकार के होते हैं- (क) त्रस और (ख) स्थावर 25। (क) त्रस जीव : जिनके त्रस नाम कर्म का उदय होता है, उसे त्रस जीव कहते हैं। (ख) स्थावर जीव : जिनके स्थावर नाम कर्म का उदय होता है, उसे स्थावर जीव कहते हैं। स्थावर जीव के भेद : स्थावर जीव के पाँच भेद हैं 26 - (1) पृथ्वीकाय (2) जलकाय (3) वायुकाय (4) अग्निकाय (5) वनस्पतिकाय। इन्द्रियों की अपेक्षा जीव के भेद : प्रशमरति प्रकरण में इन्द्रियों की अपेक्षा से जीव का वर्गीकरण किया गया है। वह निम्नांकित है- एकेन्द्रिय, द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय, चतुरेन्द्रिय, पंचेन्द्रिय 27 । एकेन्द्रिय जीव जिन जीवों में स्पर्शन एक ही इन्द्रिय होती हैं और जो स्पर्शन इन्द्रिय से स्पर्श को जानते हैं, उन्हें एकेन्द्रिय जीव कहते हैं। जैसे- पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, वनस्पतिकाय 28 । द्वीन्द्रिय जीव : ___ जिन जीवों को स्पर्शन और रसना - ये दो ही इन्द्रियाँ होती हैं और जो स्पर्शन से स्पर्श को और रसना इन्द्रिय से रस को जानते हैं, उन्हें द्वीन्द्रिय कहते हैं। जैसे - कुक्षि, कृमि, शीप, शंख, गंडोला, संबूक इत्यादि 29 । त्रीन्द्रिय जीव : जिन जीवों को केवल स्पर्शन, रसना और घ्राण- तीन इन्द्रियाँ होती हैं । उन्हें त्रीन्द्रिय जीव कहते हैं। जैसे- जूं , खटमल, चींटी, बिच्छू, कुंभी, पिपीलिका, चीलर, दीमक, झिंगूर । चतुरेन्द्रिय जीव : जिन जीवों को मात्र स्पर्शन, रसना, घ्राण और चक्षु - ये चार इन्द्रियाँ होती हैं और जो स्पर्शन इन्द्रिय से स्पर्श को, रसना से रस को, घाण से गन्ध को तथा चक्षु-इन्द्रिय से रुप को जानते हैं, उन्हें चतुरेन्द्रिय जीव कहते हैं। जैसे भौरा, मक्खी, पतंग, मकड़ी, डंस, मधुमक्खी, गोमक्खी, मच्छर, टिड्डी, ततैया, कुरकुट इत्यादि 31।

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