Book Title: Prashamrati Prakaran Ka Samalochanatmak Adhyayan
Author(s): Manjubala
Publisher: Prakrit Jain Shastra aur Ahimsa Shodh Samthan

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Page 62
________________ 53 71. वही दूसरा अध्याय 72. वही, 11, का० 204, पृ० 141 73. वही, 11, का० 202 को हरिभद्रीय टीका, पृ० 139 74. वही, 11, का० 204, पृ० 141 75. प्रशमरति प्रकरण, ११, का० 206 की हरिभद्रीय टीका, पृ० 144 76. वही, 11, का० 204, पृ० 141 77. प्रशमरति प्रकरण, 11, का० 205 का भावार्थ, पृ० 144 78. वही, 11, का० 206, पृ० 144 79. प्रशमरति प्रकरण, 11, को० 206 को हरिभद्रीय टीका, पृ० 144 80. प्रशमरति प्रकरण, 11, का० 200, पृ० 138 81. प्रशमरति प्रकरण, ११, का० २०७, पृ० १४५ 82. धर्माधर्माकाशान्येकेकमतः परं त्रिकमनन्तम् । प्रशमरति प्रकरण, 14, काo 214, पृ० 150 83. कालं विनास्तिकाया । प्रशमरति प्रकरण, 14, का० 214 पृ० 150 84. प्रशमरति प्रकरण, 14, का० 213, पृ० 149 85. जीवमृते चाडण्यकतृणि 11 प्रशमरति प्रकरण, 14, का० 214, पृ० 150 86. जीवा इति संभवन्तः.... जीविष्यन्ति चेति जीवाः । प्रशमरति प्रकरण, 10, का० 189 को हरिभद्रीय टीका, पृ० 131 87. प्रशमरति प्रकरण, 11, का० 194, पृ० 134 88. वही, 14, का० 214, पृ० 150 89. वही, 11, का० 207, पृ० 145 90. असंख्ये अकद अप्रदेशे जीवः । वही, का० 207 को टीका, पृ० 145 91. प्रशमरति प्रकरण, 14, का० 213, पृ० 149 92. जीवस्तु कर्ता शुभाशुभानां कर्मणामिति । वही, 14, का० 214 की हरिभद्रीय टीका, पृ० 150 93. जीव मुक्ताः संसारिणश्च । वही, 11, का० 190, पृ० 132 94. वही, 11, का० 190, पृ० 132 95. प्रशमरति प्रकरण, 11, का० 192, पृ० 133 96. भावा भवन्ति... क्षयोपशमजश्य पंचैते। वही, 11, का० 193, पृ० 133

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