Book Title: Prashamrati Prakaran Ka Samalochanatmak Adhyayan
Author(s): Manjubala
Publisher: Prakrit Jain Shastra aur Ahimsa Shodh Samthan
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पंचम अध्याय 12. समुदितमेव त्रितयमविकलं मोक्ष साधनं । एक तराडभावे....... न मोक्षं साथवन्तोत्यर्थः ।
प्रशमरति प्रकरण, 15, का० 230 की टीका, पृ० 162 13. वही, 14, का० 222, पृ० 156 14. प्रशमरति प्रकरण, 14, का० 223, पृ० 157 15. ज्ञानं मत्यादि भेदेन पंचधा। तत् समास्तो द्विधा प्रत्यक्ष च। मति श्रुते...... परोक्षमिति। ___वही, 14, का० 224 एवं उसकी हरिभद्रीय टीका, पृ० 157 16. वही, 14, का० 224, पृ० 157 17. प्रशमरति प्रकरण, 14, का० 224 की टीका, पृ० 157 18. तत्र परोक्षं द्विविधं श्रुतमाभिनिबोधिकं च विज्ञेयम। वही, 14, का० 225, पृ० 157 19. एषां मत्यादिज्ञानानामुत्तर भेद.........भेदादनेकथा। प्रशमरति प्रकरण, १४, का० 226 ___की टीका, पृ० 158 20. श्रुतमागमोडतोन्द्रिय.........श्रुतं भवति। वही, 14, का० 225 की टीका, पृ० 157-158 21. तत्र प्रत्यक्षमवधि मनः पर्याय केवलाख्यमक्षस्यात्मनः साक्षादिन्द्रिय निरपेक्षं क्षयोपशमनं
क्षयोत्वं च। प्रशमरति प्रकरण, 14, का० 224 की टीका, पृ० 157 22. वही, 14, का० 224 की टीका, पृ० 157 23. अवधिर्वन्यमध्यमोतकृष्टादि भेदेनानेकाथि रुपि द्रव्य निबन्धनः। वही, 14, का० 226 की
टीका, पृ० 158 24. प्रशमरति प्रकरण, 14, का० 226 की टीका, पृ० 157 25. वही, 14, का० 226 की टीका, पृ० 158 26. तत्र प्रत्यक्षमवधिमनः पर्याय केवलाख्यमक्षस्यात्मनः साक्षादिन्द्रिय निरपेक्ष क्षयोपशमजं
क्षयोत्वं च। वही, 14, का 224 की टीका, पृ० 157 27. वही, 14, का० 226 की टीका, पृ० 158 28. सम्यग्दृष्टिस्तत्वार्थ............. मिथ्यादृष्टेरज्ञानमेवः। प्रशमरति प्रकरण,14, का० 227
की टीका, पृ०.159 29. सामायिक मित्यार्थ........ यथाख्यातम्। वही, 14, का० 228, पृ० 160 30. इत्यैतत् पंचविथं चारित्रं मोक्ष साधनं प्रवरम्। प्रशमरति प्रकरण, 15, का० 229, पृ०
161 31. पूर्वद्वयसम्पद्यपि तैषां भजनीय.......... भवति सिद्धः । वही, 15, का० 231, पृ० 162
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