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३. कुडुम्बं
[द्वितीया विभक्ति]
इमं मम कुडुम्बं अस्थि । जो कुडम्ब पालइ । सो ममं गेहं करइ । मज्झ भायरो तुमं जाणइ । मज्झ जणो पोत्थग्रं पढइ । जगाणी तं दुद्धदेइ । तुज्झ बहिणी कमला अत्थि । माया तं पासइ। इमो अम्हाण पियामहो अस्थि । अम्हे इमं नमामो । तुम्हे कि नमित्था ? माउलो अम्हे वत्थं देइ । सो तुम्हे धरणं देइ । भाउजाया ते नमइ । ते तारो बहूओ पासन्ति । बहिणी इमे भायरा पत्तारिण लिहइ। भायरा इमाओ बहिणीओ धणं पेसन्ति । माया के पुत्ता इच्छइ ? ताओ कामो कन्नाप्रो साडीपो देन्ति ?
प्रभ्यास (क) पाठ में से द्वितीया विभक्ति के सर्वनामरूप छांटकर उनके अर्थ लिखो। (ख) द्वितीया विभक्ति के शब्दरूद छांटकर उनके अर्थ लिखो। (ग) कुटम्ब के सदस्यों के प्राकृत शब्द लिखो :
पिता, भाई, छोटा भाई, माता, बहिन, पितामह, मामा, भौजी (भाभी), बहू पुत्र, कन्या।
(घ) प्राकृत में अनुवाद करो:
__ मित्र मुझको जानता है। वह तुमको पूछता है। माता उसको पालती है। कन्या उस स्त्री को नमन करती है। मैं इसको नहीं जानता है। तुम किसको पत्र लिखते हो ? गुरु उन सबको जानते हैं । वे तुम सबको पूछेगे। तुम इन सबको नमन करो।
(6) क्रियाएं याद करो:
बस = रहना सोह = अच्छा लगना परिवट्ट= बदलना उप्पन्न = उत्पन्न होना नाय = पैदा होना बीह = डरना मग्ग = मांगना प्रच्च = पूजा करना
धाव = दौड़ना प्राव = आना गिह = ग्रहण करना घोव - धोना
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प्राकृत काव्य-मंजरी
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