Book Title: Prakrit Kavya Manjari
Author(s): Prem Suman Jain
Publisher: Rajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
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प्राकृत काव्य-मंजरी
कृदन्त विशेषरण चार्ट एकवचन प्रथमा विक्ति
बहुवचन मू.क्रि. व प्रत्यय | पुल्लिग | स्त्रीलिंग नपुंसकलिंग पुल्लिग | स्त्रीलिंग
काल
नपुंसकलिंग
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पा
व० का० | पढ+अन्त | पढन्तो पढन्ती | पढन्तं पढन्ता | पढन्तीओ | पढन्तारिण
पढ+माण | पढमाणो | पढमाणी | पढमाणं | पढमाणा | पढमाणीओ | पढमारणारिण भू० का० पढ+ +अ | पढिओ पढिआ पढिअं पढिआ पढिआओ पढिआणि भ० का० पढ+इ+स्सन्त पढिस्सन्तो | पढिस्सन्ती | पढिस्सन्तं | पढिस्सन्ता | पढिस्सन्तीओ | पढिस्सन्तारिण यो००[क] | पढ+अणीअ | पढणीओ | पढणीआ | पढणीअं | पढणीआ | पढणीआओ | पढणीआणि वि.कृ० [ख] | पढ+ए+अव्व पढेअन्वो । पढेअव्वा | पढेअव्वं पढेअव्वा पढेअन्वाओ पढेअव्वारिण
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