Book Title: Prakrit Kavya Manjari
Author(s): Prem Suman Jain
Publisher: Rajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur

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Page 188
________________ पाठ २८ : बुद्धिमान रोहत १. वहाँ (उज्जैनी) में अपने रूप से इन्द्र को जीतने वाला, घमण्डी राजाओं का दलन करने बाला, युद्ध में शत्रुओं को जीतने वाला जितशत्रु नामक राजा (है)। २. और उस श्रेष्ठ नगरी के समीप में फैला हुआ, धन-धान्य से युक्त शिलाग्राम नामक (एक) गाँव है। ३. वहाँ नाटकों में कुशल, बुद्धिमान भरत नामक नट है। उसके अपनी बुद्धि से प्राप्त शोभा वाला रोहत नामक पुत्र है। ४. तब भरत सोचता है- देखो, बालकों को कैसी बातचीत (होती है)? और उसके बाद एक दिन पुत्र के साथ भरत उस उज्जैनी को गया। ५-६. वहाँ क्रय-विक्रय आदि करके अपने गाँव की तरफ आता हुआ वह (भरत) जब क्षिप्रा नदी के पास में पहुंचा तब उसने कहा- 'हे रोहत! बाजार के बीच में मेरी (एक सामान की) पुड़िया भूल गयी है । तुम ठहरो, जब तक मैं (उसे) लेकर वापिस लौटता हूँ। ७. ऐसा कहकर भरत के चले जाने पर तब बालकपने से उस रोहत के द्वारा क्षिप्रा नदी की रेत पर उज्जैनी (चित्र में) बना दी गयी। ८. इसी समय में सेना की धूलि के भय से आगे होकर घोड़े पर चढ़ा हुआ राजा जैसे ही वहाँ (चित्र के पास) आता है, तब रोहत के द्वारा वह रोका गया। १. 'हे घुड़सवार! उज्जनी के बाजार-मार्ग के बीच से जितशत्रु राजा के राजकुल को लांघकर आगे कैसे जा रहे हो ?' १०. तब आश्चर्यचकित राजा उससे पूछता है- 'हे भद्र! कहाँ है (यहाँ) उज्जैनो ?' तब रोहत रेत पर बनी हुई (उज्जैनी) उसे दिखाता है - प्राकृत काव्य-मंजरी १७७ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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