Book Title: Prakrit Kavya Manjari
Author(s): Prem Suman Jain
Publisher: Rajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur

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Page 196
________________ १७ पर्वत में आग लगाकर और पल्लियों (बस्तियों) से गोधन लेकर जिसके द्वारा दुर्गम वट नामक मण्डल (प्रदेश) में आतंक उत्पन्न करा दिया गया था । १८. तथा जिसके द्वारा श्रेष्ठ इच्छुओं ( ईख) के पत्तों से आच्छादित यह भूमि नीलकमलों से सुगन्धित और माकन्द एवं मधूक वृक्षों से रमणीक कर दी गयो थी । ११- २० वि० सं० १८ चैत्र शुक्ला द्वितीया बुधवार को हस्त नक्षत्र में श्री कक्कुक ने अपनी कीर्ति की वृद्धि के लिए रोहन्सकूप नामक ग्राम में महाजनों, विप्र, व्यापारियों आदि सामान्य जनों से व्याप्त बाजार स्थापित किया । प्राकृत काव्य - मंजरी Jain Educationa International 000 For Personal and Private Use Only १८५ www.jainelibrary.org

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