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वचन
मूलक्रिया रिप साम
आज्ञा
म०पु.
ए०व०
क्रियारूप णिसामेह वियसन्त्रि कुदन्त अवगूहिय पवित्थरिय
(3)
अर्थ
पहिचान
युक्त फैला हुआ
भू००
मूलक्रिया अवगृह पबित्थर
प्रत्यय इ+2 इ+य
भू
.
३. वस्तुनिष्ठ प्रश्न :
सही उत्तर का क्रमांक कोष्ठक में लिखिए: १. सज्जन की उपमा दी गयी है - (क) कमल से
(ख) सूर्य से (ग) चन्द्रमा से (घ) चन्दन से
[ ] २. 'लीलावई' कथा के रचनाकार हैं --
(क) विमलसूरि (ख) हालकवि (ग) कोऊहल
(घ) प्रवरसेन ३. 'सूरो वि ण सत्तासो' का वास्तविक अर्थ है -
(क) योद्धा होते हुए भी भय-युक्त नहीं (ख) सूर्य होते हुए भी भयभीत नहीं (ग) अंधा होते हुए भी डरा हुआ नहीं [ ]
४. लघुत्तरात्मक प्रश्न :
प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में लिखिए : १. सज्जन के साथ दुर्जन की उपस्थिति क्यों आवश्यक है ? २. शरद की रात्रि में चन्द्रमा और तारे कैसे लगते हैं ? ३. हंसों के कलरव की उपमा कवि ने किससे दी है ?
४, राजा के बिना कवियों की काव्य-रचना का क्या होता था ! ५. निबन्धात्मक प्रश्न एवं विशदीकरण :
(क) शरद ऋतु का वर्णन अपने शब्दों में करिए । (ख) राजा की ४-५ विशेषताएँ लिखिए। (ग) गाथा नं० १, १० एवं १५ का अर्थ समझाकर लिखिए।
प्राकृत काव्य-मंजरी
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