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पाठ १3 : कुमाराण बुद्धि-परिक्खणं
पाठ-परिचय :
. आख्यानमणिकोश में बुद्धि की परीक्षा के लिए अभयकुमार का आख्यान दिया गया है। प्राकृत कथा साहिय में राजा प्रसेनजित के पुत्र श्रेणिक या बिम्बसार की योग्यता का बहुत वर्णन मिलता है। इस राजा श्रेणिक का विवाह सुनन्दा के साथ होता है। उन दोनों के जो पुत्र होता है उसका नाम अभयकुमार है । अभयकुमार से सम्बन्धित कई कथाएँ प्राकृत में हैं। आख्यानमणिकोश में २७८ गाथाओं में अभयकुमार का कथानक वरिणत है।
___ डॉ. के. आर. चन्द्रा ने अभयक्खाणयं नामक पुस्तक में अभयकुमार के कथानक को संक्षेप में प्रस्तुत किया है। उसी में से प्रसेनजित राजा द्वारा अपने पुत्रों की बुद्धि को परीक्षा लेने का प्रसंग इन गाथाओं में यहाँ प्रस्तुत किया जा रहा है।
अह अन्नया कयाई रयणीए पच्छिमम्मि जामम्मि । सुहसंबुद्धो चितिउमारद्धो नरवई एवं ॥१॥ मज्झ कुमराण मज्झे होही को घरधुराधरणधीरो। सेसो व महाभोगो चूडामरिणरंजियसिरग्गो ॥२॥ इय चिंतिऊरण सिंधुर-तुरंगमाउज्ज-रहवराइन्न । पज्जालावइ सयलं चउद्दिसि जिन्नसालगिहं ॥३॥ तं नियवि जलराजालाकरालियं भरणइ भूवई कुमरे । रे रे! जो जं गेण्हइ दिन्नं तं तस्स सव्वं पि ॥४॥ रायाएसं निसुरिणउ तड-यड-फुट्टतवंससंदोहे । कड्ढन्ति पलित्ते पविसिऊरण कुमरा गइंदाई ॥५॥ सेणिय कुमरेण पुणो पविसिय पजलंतमंदिरस्संतो । गहिया भिंभाभिहाणा दक्खेण झडत्ति जयढक्का ॥६॥
प्राकृत काव्य-मंजरी
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