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अलबेला आदिधर भेटशुं, आर्ची शुं जगत दयाळ हो,मा० ७ लालन इश्वाकुवंश जिनवरा, भरतादिक पेढी असंख्य हो,...लालन वली थावच्चा सहसरों, सिध्या छे सिद्धगिरि साथ हो,मा० ८ लालन नमिविनमि विद्याधरा, दोय क्रोड मुनीनी साथ हो, लालन इण तीर्थे भव निस्तों, एतो पाम्या शिवसुख साथ हो,मा० ६ लालन एकाणुं लाख मुनिवरा, गया नारद साथे सिद्ध हो, लालन भरत त्रण क्रोडीशुं, एतो पाम्या अविचल स्थान हो,मा० १० लालन साडी आठ क्रोडशं, एतो पाम्या शिवपुर साथ हो, लालन श्याम प्रद्युम्न दोय जणा, एतो जाशे शिव प्रशंस हो,मा० ११ लालन इणगिरि ऋषभ समोसर्या, ए तो पूर्व नवाणुं वार हो, लालन सिध्याने वलि सिद्धशे, ए तो कहेता नावे पार हो,मा० १२ लालन जे भेटे सिद्धाचले, तेनो जन्म सफळ सवि थाय हो, लालन मानविजय कविरायनो, तिहा सिद्धिविजय गुणगाय हो, मा० १३
(54) श्री सिद्धाचल स्तवन (राग : वासुपूज्य विलासी)
हे प्रभु ऋषभ स्वामी, अंतरयामि मोक्षना गामी, वंदु छु वारंवार, हे प्रभु हाथज जोडी, मानज मोडी, काया संकोची, वंदु छु वारंवार ।।१।। श्री सिद्धाचलमां आप बिराजो, प्रथम ऋषभ जिणंद, अष्ट अरिनो क्षय करीने, कीधां कर्मनां कंदरे हे प्रभु० ॥२॥ विनिता नगरीने विषेरे, आप जन्म्यां भगवंत, नरक निगोदमां हु बहु भमीयो, भमीयो काल अनंतरे हे प्रभु० ॥३॥ शशीनी परे शीतलतां रे, नाभिराया तुजतात, अष्ट सहस लक्षण तुमारा, मरुदेवा तुजमात रे हे प्रभु० ॥४॥ कषाय दंडक बंधन तोडी, पापकर्यां छे दूर, रे शिवनारीना प्रथमस्वामी, आव्यो छु आप हजूर हे प्रभु० ॥५॥ धर्मविजय गुरुराय पसाये, हितविजय गुणगाय, श्री आदिश्वर नयणे निरखी, हैडे हर्ष न माय रे हे प्रभु० ॥६॥
(55) श्री सिद्धाचल स्तवन (राग : एक, दो, तीन, चार)
भवि तुमे वंदोरे, श्री सिद्धाचल सुखकारी। पाप निकंदोरे, गिरि गुणमनमा धारी॥ नाभिनंदन पूर्व नव्वाणुं, श्री आदिश्वर आव्यां। अजित शांति चौमासुं रहीया, सुरनर पति मन भाव्यां । भवि०॥१॥ चैत्र सुदी