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तिण कारण मगते भणिय, बंदु देव त्रिकाल प्रभु तुठे वंछित फले, जाणे बाल गोपाल ॥५॥
भावार्थ:- एवी रीते पुरुषोत्तम - पुरुषोमां उत्तम तथा सिद्ध थयेला चोवीस जिनो में स्तत्र्या, तथा एकचित्ते जेमणे सेवा करी तेओने पोतानी साथे लीधा, जो के जिनेश्वर भगवंतो राग-द्वेष आदि दूषणोथी रहित छे छतां पण पोताना सेवकने तारे छे. द्वेषने छोडीने पण बीजा लोकोनी साथे जेणे संग निवार्यो छे - अर्थात् संगरहित छे. ते कारणथी हुं भक्तिपूर्वक आ स्तुति करवापूर्वक देवताने त्रणे काळ स्तनुं बुं-वांदु छं. कारण प्रसन्न थयेला सामान्य देवताओ पण आ फलने आपनारा छे, ज्यारे जिनेश्वर परमात्मा तो देवना पण देव छे तो पछी तेवा अलौकिक देवने भवाथी निष्फल केम थवाय अर्थात् अवश्य फळ मळेज छे.. आ वात प्रसिद्ध छे अर्थात् बाळकथी लइ पुरुष पर्यन्त जाणे छे ॥ ५ ॥
LOREE CALA
॥ १३ अथ जं किंचिं सूत्र ॥
हवे सामान्य ते सर्व जिनबिंबोने वांदे छे—
मू० - जं किंचि नामतित्थं, सग्गे पायालि - तिरिय- लोयमि । जाई जिबिंबाई, ताई सव्वाई वंदामि ||१||
शब्दार्थ.
जं - जे
किंचि - कोइ
नाम तित्थं नाम मात्रथी पण
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प्रसिद्ध ऐवं तीर्थ अने ते
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विषे सग्गे स्वर्गमां
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