Book Title: Panch Pratikramana Sarth
Author(s): Gokaldas Mangaldas Shah
Publisher: Shah Gokaldas Mangaldas

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Page 387
________________ ३६५ श्रीशांतिनाथनी स्तुति. कुरुजणवयहत्थिणाउरनरीसरो पढमं तओ महाचक्वट्टिमोए महप्पभावो, जो बावत्तरिपुरवरसहस्सवरनगरनिगमजणवयवई बत्तीसारायवरसहस्साणुयायमग्गो। चउदसवररयणनवमहानिहिचउठिसहस्सपवरजुबईण सुंदरवई, चुलसीहयगयरहसयसहस्ससामी छन्नवइगामकोडिसामी आसी जो भारहम्मि भयवं ॥११॥ (वेढ्ढओ) शब्दार्थकुरुजणवय-कुरुदेशना हत्थिणाउर--हस्ति- नरीसरो-नगरनाराजा पढम--प्रथम नापुर तओ-पछी महाचकवाट्टि--म्होटा भोए-भोगवता महप्पभावो-म्होटा प्रभाचक्रवर्तिना जो-जे ववाळा बावत्तरि-व्होतेर पुरवर--घरवडे श्रेष्ठ सहस्स-हजार नगर-नगरो १ निगम-निगम २ जणवय-देशना वई-पति-स्वामी बत्तीस-बत्रीश रायवर-राजाओमां श्रेष्ठ अणुयाय-अनुयायी मग्गो-मार्ग चउदस-चौद वर--श्रेष्ठ रयण-रत्नो३ नव-नव४ महानिहि--महानिधान चउसद्धि-चोसठ पवर--श्रेष्ठ १ जेमा कर न होय ते. २ महोटा व्यापारीओनी दुकानवाळा स्थाने व्यापारना स्थानो, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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