Book Title: Panch Pratikramana Sarth
Author(s): Gokaldas Mangaldas Shah
Publisher: Shah Gokaldas Mangaldas
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१३
तुरय-अश्व सिरिवच्छ-श्रीवत्सरूप सुलंछणा-सुंदर लांछनवाळा दीव-द्वीप समुद्द-समुद्र मंदर-मेरु दिसागय-दिग्गजवडे सोहिया-शोभता सथिअ-स्वस्तिक 'वसह-वृषभ सीह-सिंह रह-रथ चकवर-श्रेष्ठ चक्रवडे अंकिया-चिन्हवाळा सहावलठा-स्वभावथी ज सुंदर समप्पइटा-समभावने विषे
रहेला. अदोसदुहा-दोषवडे अदुष्ट गुणेहि जिहा-गुणोबडे मोटा पसायसिहा-रागादिकना अभा. वरूप निर्मळतावडे श्रेष्ठ तवेण-तपवडे
पुछा-पुष्ट सिरिहिं इछा-लक्ष्मीवडे पूजा
येला रिसीहिं जुट्टा-मुनिओए सेवेला तवेण-तपवडे धुअसव्वपावया-नाश कर्या छे
सर्व पाप जेमगे एवा सव्वलोअहिअमूलपावया-सर्व
लोकना हितरूप जे मोक्ष तेनुं मूळ जे ज्ञान, दर्शन अने चारित्र तेने पमाड.
डनारा संथुआ-सम्यक् प्रकारे स्तुति
करेला ते-ते अजिअसतिपायया-पूज्य एवा
अजितनाथ अने शांतिनाथ इंतु-थाओ मे-मने सिवसुहान-मोक्षसुखना दायया-भापतार
दुष्ट
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