Book Title: Panch Pratikramana Sarth
Author(s): Gokaldas Mangaldas Shah
Publisher: Shah Gokaldas Mangaldas
View full book text
________________
४०३ ॥५० अथ श्री पोसह विधि ॥ , पोसह करनार श्रावक आभूषण अलंकारनो त्याग करे, 'पहेलां राइप्रतिक्रमण विधिपूर्वक करी; आचार्य, उपाध्याय, सर्व साधु वांदी, पछी इरियावही पडिक्कमि, एक लोगस्सनो काउसग्ग पारी, प्रगट लोगस्त कही, खमासमण दइ, इच्छा कारेण संदिस्सह भगवन् पोसह मुहपत्ति पडिले हुं ? एम कहो मुहपत्ति पडिलेहवी, पछी खमासमण देइ इच्छाकारेण संदिसह भगवन् , पोसह संदिसाऊं? बोजे खमासमणे पोसह ठावू?. कही, नवकार गणी, इच्छकारी० भ० पोसह दंडक ऊञ्चरावोजी॥
॥५१ अथ पोसहनु पञ्चक्खाण ॥ करेमिभंते पोसहं, आहार पोसहं, देसओ सव्वओवा, सरीर सकार पोसहं सवओ, अव्वावार पोसह सवओ, बंभचेर पोसहं सवओ, चउब्धिहे पोसहे ठामि; जावदिवस अहोरत्तं वा, पज्जुवासामि, दुविहं, तिविहेणं, मणेण, वायाए, कापणं, न करेमि, न कारवेमि, तस्स भंते पडिकमामि, निंदामि, गरिहामि, अप्पाणं वोसिरामि ॥ इति ।।
( पछी खमासमण दइ इच्छाकारेण सामायक संदिसाहुं ? बीजे खमासमणे सामायक ठाउं? एम कहीं नवकार गणी सामायक उचरीये)
___ करेमिभंते सामाइयं सावजंजोग पञ्चक्खामि, जावपोसहं 'पज्जुवासामि, दुविहं, तिविहेणं मणेणं वायाए कापणं, न करेमि, न कारवेमि, तस्लभते पडिकमामि, निंदामि गरिहामि, अप्पाणं बोसिरामि ॥
ए पछी खमासमण दइ, इच्छाकारेण संदिसह भगवन् बढुवेलं संदिसाएमि? बीजुं खमासमण दइ; इच्छाकारेण संदिस्सह भगवन् , बहुवेलं करेमि?
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455