Book Title: Panch Pratikramana Sarth
Author(s): Gokaldas Mangaldas Shah
Publisher: Shah Gokaldas Mangaldas

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Page 443
________________ म, पच्चाबहार खाइम, ६७॥ चउबिहार उपवासनु। ... सूरे उग्गए अब्भत्तठं पञ्चक्खाइ चउव्विहंपि आहारं, असणं, पाणं, खाइम, साइमं, अन्नत्थणाभोगेणं, सहसागारेणं, पारिट्ठावणियागारेणं, महत्तरागारेणं, सव्वसमाहिवत्तियागारण, बोसिरइ ॥ ॥अथ सांजना पच्चक्खाण ॥ ६८ ॥ पाणहारनुं पच्चक्खाण ॥ ॥ पाणहार दिवसचरिमं पच्चक्खाइ । अन्नत्थणाभोगेणं, सहसागारेणं, महत्तरागारेणं, सव्वसमाहिवत्तियागारेणं, बोसिरइ ॥ इति ॥ ६९ ॥ चउविहार- पच्चख्खाण ॥ दिवसचरिम, पच्चक्खाइ । चउविहंपि आहारं, असणं, पाणं, खाइम, साइमं, अन्नत्थगाभोमेणं, सहसागारेणं, महत्तरागारेणं, सञ्चसमाहिवत्तियागारे, वोसिरइ ॥ ७० ॥ विविहारनुं पच्चक्खाण ॥ दिवसचरिमं पच्चक्खाइ तिविहंपि आहारं, असणं, खाइम, साइमं, अन्नत्थणाभोगेणं, सहसागारेणं, महत्तरागारेणं, सव्वसमाहिवत्तियागारेणं, वोसिरइ ॥ ७१ ॥ दुविहारर्नु पच्चक्वाण ॥ दिवसचरिमं पच्चक्खाइ । दुविहंपि, आहार, असणं, खाइम, अन्नत्थणाभोगेणं, सहसागारेणं, महत्तरागारेणं सव्वसमाहिवत्तियागारणं वोसिरह ॥ ७२ ॥ चउदनियमनुं पच्चक्खाणा ॥ ..देसावगासिय उवभोगं परिभोगे पच्चक्खाइ । अन्नथणाभोगेणं; सहसागारेणं, महत्तरागारणं, सवसमाहिवत्तियागारेणं, वोसिरह ॥इति।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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